चमत्कारी बजरंग बाण का अचूक प्रयोग, कौशल करने की विधि ।
जय श्री राम, जय रामभक्त हनुमान
इस युग के देवताओं में से एक हैं श्री हनुमान जी । कई हनुमान भक्त न केवल दुखों से दूर रहते हैं, बल्कि उनकी वृद्धि भी लगातार होती रेहती है। आइए जाने कैसे प्राकृतिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए बजरंग बाण के अचल और अनोखे प्रयोग के बारे में ।
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सबसे पहले, अपने पसंदीदा काम की सिद्धि के लिए मंगल या शनिवार का दिन चुनें। हनुमानजी की एक चित्र या मूर्ति का जाप करने के लिए उसे आगे रखें। बैठने के लिए ऊनी का प्रयोग करें। अनुष्ठान के लिए शुद्ध स्थान और शांतिपूर्ण वातावरण आवश्यक है।
ध्यान रहे कि यह साधना कहीं एकान्त में स्थित हनुमानजी के मन्दिर या एकान्त स्थान में करें। हनुमान जी के अनुष्ठान या पूजा आदि में दीपदान का विशेष महत्व है। अनुष्ठान से पहले 5 अनाजों (गेहूं, चावल, मूंग, उड़द और काले तिल) की एक-एक मुट्ठी लेकर शुद्ध गंगाजल में भिगो दें।। अनुष्ठान के दिन इन अनाजों को पीसकर दीपक बना लें।
दीपक की बत्ती के लिए अपनी लम्बाई के बराबर कलावे का एक हिस्सा काटकर लाल रंग में रंग लें। इस धागे को 5 बार मोड़ें। इस धागे की बत्ती को तिल के तेल में डालकर प्रयोग करें ध्यान रहे इस दीपक को पूरी पूजा अवधि के दौरान जलते रहना चाहिए। पूजन करते समय हनुमानजी को सुगंधित गूगुल की धूनी से सुवासित करते रहें।
ध्यान रहे कि जप करने से पहले इस बात की पुष्टि कर लें कि जब भी आपका काम पूरा हो जाए, तब भी आप हनुमानजी के लिए कुछ भी नियमित रूप से करेंगे। शुद्ध उच्चारण के साथ हनुमान जी की छवि पर ध्यान एकत्रित करके बजरंग बाण का जाप शुरू करें। “श्रीराम–” से “–सिद्ध करें हनुमान” तक एक बैठक में माला जप करें।
जिस घर में गोगुल की गंध देकर बजरंग बाण का नियमित पाठ किया जाता है, वहां दुर्भाग्य, अशुद्धि, भूत-प्रेत और असाध्य शारीरिक कष्ट की संभावना नहीं रहती है। यदि किसी कारण से दैनिक पाठ करने में असमर्थ हैं, तो प्रत्येक मंगलवार को यह जप करना करें।