हनुमान जी के 108 नाम, हनुमान के 108 मंत्र ।
श्री हनुमान जी महाराज हिंदू धर्म के उन देवताओं में से है जिन्हें आप आसानी से प्रसन्न कर सकते हैं। हनुमान जी भक्तों की रक्षा के लिए सदा मुस्तैद रहते हैं। यह शुभ और फलदायक माना जाता है की आप श्री हनुमान के 108 नामों के साथ उनके चमत्कारी मंत्रों का भी जाप करें ।
श्री हनुमान जी महाराज हिंदू धर्म के उन देवताओं में से है जिन्हें आप आसानी से प्रसन्न कर सकते हैं। हनुमान जी भक्तों की रक्षा के लिए सदा मुस्तैद रहते हैं। यह शुभ और फलदायक माना जाता है की आप श्री हनुमान के 108 नामों के साथ उनके चमत्कारी मंत्रों का भी जाप करें ।
इस हनुमा जयंती के अफसर पर आइये श्री हनुमान के 108 नामों को अर्थ के साथ जानते है ।
- आंजनेया (ॐ आञ्जनेयाय नमः): अंजना का पुत्र (1)
- महावीर (ॐ महावीराय नमः) : वीरों के वीर (2)
- हनूमत (ॐ हनूमते नमः) : जिसके गाल फूलें हुए हो (3)
- मारुतात्मज (ॐ मारुतात्मजाय नमः) : पवन देव के लिए रत्न जैसे प्रिय (4)
- तत्वज्ञानप्रद (ॐ तत्वज्ञानप्रदाय नमः): बुद्धि देने वाले (5)
- सीतादेविमुद्राप्रदायक (ॐ सीतादेविमुद्राप्रदायकाय नमः) : सीता की अंगूठी भगवान राम को देने वाले (6)
- अशोकवनकाच्छेत्रे (ॐ अशोकवनकाच्छेत्रे नमः): अशोक बाग का विनाश करने वाले (7)
- सर्वमायाविभंजन(ॐ सर्वमायाविभंजनाय नमः) : छल के विनाशक (8)
- सर्वबन्धविमोक्त्रे (ॐ सर्वबन्धविमोक्त्रे नमः): मोह को दूर करने वाले 9)
- रक्षोविध्वंसकारक(ॐ रक्षोविध्वंसकारकाय नमः) : राक्षसों का वध करने वाले (10)
- परविद्या परिहार(ॐ परविद्या परिहाराय नमः) : दुष्ट शक्तियों का नाश करने वाले (11)
- परशौर्य विनाशन (परशौर्य विनाशनाय नमः) : शत्रु के शौर्य को खंडित करने वाले (12)
- परमन्त्र निराकर्त्रे (ॐ परमन्त्र निराकर्त्रे नमः) : राम नाम का जाप करने वाले (13)
- परयन्त्र प्रभेदक (ॐ परयन्त्र प्रभेदकाय नमः) : दुश्मनों के उद्देश्य को नष्ट करने वाले (14)
- सर्वग्रह विनाशी (ॐ सर्वग्रह विनाशिने नमः) : ग्रहों के बुरे प्रभावों को खत्म करने वाले (15)
- भीमसेन सहायकृथे (ॐ भीमसेन सहायकृथे नमः) : भीम के सहायक (16)
- सर्वदुख हारे (ॐ सर्वदुखः हराय नमः) : दुखों को दूर करने वाले (17)
- सर्वलोकचारिणे (ॐ सर्वलोकचारिणे नमः) : सभी जगह वास करने वाले (18)
- मनोजवाय(ॐ मनोजवाय नमः) : जिसकी हवा जैसी गति है (19)
- पारिजात द्रुमूलस्थ (ॐ पारिजात द्रुमूलस्थाय नमः) : प्राजक्ता पेड़ के नीचे वास करने वाले (20)
- सर्वमन्त्र स्वरूपवते (ॐ सर्वमन्त्र स्वरूपवते नमः) : सभी मंत्रों के स्वामी (21)
- सर्वतन्त्र स्वरूपिणे (ॐ सर्वतन्त्र स्वरूपिणे नमः) : सभी मंत्रों और भजन का आकार जैसा (22)
- सर्वयन्त्रात्मक (ॐ सर्वयन्त्रात्मकाय नमः) : सभी यंत्रों में वास करने वाले (23)
- कपीश्वर (ॐ कपीश्वराय नमः) : वानरों के देवता (24)
- महाकाय (ॐ महाकायाय नमः) : विशाल रूप वाले (25)
- सर्वरोगहरा (ॐ सर्वरोगहराय नमः) : सभी रोगों को दूर करने वाले (25)
- प्रभवे (ॐ प्रभवे नमः) : सबसे प्रिय (27)
- बल सिद्धिकर (ॐ बल सिद्धिकराय नमः) : बल सिद्धि हो जिसके पास (28)
- सर्वविद्या सम्पत्तिप्रदायक (ॐ सर्वविद्या सम्पत्तिप्रदायकाय नमः) : ज्ञान और बुद्धि प्रदान करने वाले (29)
- कपिसेनानायक (ॐ कपिसेनानायकाय नमः) : वानर सेना के प्रमुख (30)
- भविष्यथ्चतुराननाय (ॐ भविष्यथ्चतुराननाय नमः) : भविष्य की घटनाओं के ज्ञाता (31)
- कुमार ब्रह्मचारी (ॐ कुमार ब्रह्मचारिणे नमः) : युवा ब्रह्मचारी (32)
- रत्नकुण्डल दीप्तिमते (ॐ रत्नकुण्डल दीप्तिमते नमः) : कान में मणियुक्त कुंडल धारण करने वाले (33)
- चंचलद्वाल सन्नद्धलम्बमान शिखोज्वला (ॐ चञ्चलद्वाल सन्नद्धलम्बमान शिखोज्वलाय नमः) : जिसकी पूंछ उनके सर से भी ऊंची है (34)
- गन्धर्व विद्यातत्वज्ञ (ॐ गन्धर्व विद्यातत्वज्ञाय नमः) : आकाशीय विद्या के ज्ञाता (35)
- महाबल पराक्रम (ॐ महाबल पराक्रमाय नमः) : महान शक्ति के स्वामी (36)
- काराग्रह विमोक्त्रे (ॐ काराग्रह विमोक्त्रे नमः) : कैद से मुक्त करने वाले (37)
- शृन्खला बन्धमोचक (ॐ शृन्खला बन्धमोचकाय नमः) : तनाव को दूर करने वाले (38)
- सागरोत्तारक (ॐ सागरोत्तारकाय नमः) : सागर को उछल कर पार करने वाले (39)
- प्राज्ञाय (ॐ प्राज्ञाय नमः) : विद्वान (40)
- रामदूत (ॐ रामदूताय नमः): भगवान राम के राजदूत (41)
- प्रतापवते (ॐ प्रतापवते नमः) : वीरता के लिए प्रसिद्ध (42)
- वानर (ॐ वानराय नमः।) : बंदर (43)
- केसरीसुत (ॐ केसरीसुताय नमः) : केसरी के पुत्र (44)
- सीताशोक निवारक (ॐ सीताशोक निवारकाय नमः) : सीता के दुख का नाश करने वाले (45)
- अन्जनागर्भसम्भूता (ॐ अन्जनागर्भ सम्भूताय नमः) : अंजनी के गर्भ से जन्म लेने वाले (46)
- बालार्कसद्रशानन (ॐ बालार्कसद्रशाननाय नमः) : उगते सूरज की तरह तेजस (47)
- विभीषण प्रियकर (ॐ विभीषण प्रियकराय नमः) : विभीषण के हितैषी (48)
- दशग्रीव कुलान्तक (ॐ दशग्रीव कुलान्तकाय नमः) : रावण के राजवंश का नाश करने वाले (49)
- लक्ष्मणप्राणदात्रे (ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नमः) : लक्ष्मण के प्राण बचाने वाले (50)
- वज्रकाय (ॐ वज्रकायाय नमः) : धातु की तरह मजबूत शरीर (51)
- महाद्युत (ॐ महाद्युथये नमः) : सबसे तेजस (52)
- चिरंजीविने (ॐ चिरञ्जीविने नमः) : अमर रहने वाले (53)
- रामभक्त (ॐ रामभक्ताय नमः) : भगवान राम के परम भक्त (54)
- दैत्यकार्य विघातक (ॐ दैत्यकार्य विघातकाय नमः) : राक्षसों की सभी गतिविधियों को नष्ट करने वाले (55)
- अक्षहन्त्रे (ॐ अक्षहन्त्रे नमः) : रावण के पुत्र अक्षय का अंत करने वाले (56)
- कांचनाभ (ॐ काञ्चनाभाय नमः।) : सुनहरे रंग का शरीर (57)
- पंचवक्त्र (ॐ पञ्चवक्त्राय नमः) : पांच मुख वाले (58)
- महातपसी (ॐ महातपसे नमः) : महान तपस्वी (59)
- लन्किनी (ॐ लन्किनी भञ्जनाय नमः) : लंकिनी का वध करने वाले (60)
- श्रीमते (ॐ श्रीमते नमः) : प्रतिष्ठित (61)
- सिंहिकाप्राण (ॐ सिंहिकाप्राण भञ्जनाय नमः) : सिंहिका के प्राण लेने वाले (62)
- गन्धमादन शैलस्थ (ॐ गन्धमादन शैलस्थाय नमः) : गंधमादन पर्वत पार निवास करने वाले (63)
- लंकापुर विदायक (ॐ लङ्कापुर विदायकाय नमः): लंका को जलाने वाले (64)
- सुग्रीव सचिव (ॐ सुग्रीव सचिवाय नमः): सुग्रीव के मंत्री (65)
- धीर (ॐ धीराय नमः): वीर (66)
- शूर (ॐ शूराय नमः): साहसी (67)
- दैत्यकुलान्तक (ॐ दैत्यकुलान्तकाय नमः) : राक्षसों का वध करने वाले (68)
- सुरार्चित (ॐ सुरार्चिताय नमः) : देवताओं द्वारा पूजनीय (69)
- महातेजस (ॐ महातेजसे नमः) : अधिकांश दीप्तिमान (70)
- रामचूडामणिप्रदायक (ॐ रामचूडामणिप्रदायकाय नमः) : राम को सीता का चूड़ा देने वाले (71)
- कामरूपिणे (ॐ कामरूपिणे नमः) : अनेक रूप धारण करने वाले (72)
- पिंगलाक्ष (ॐ पिङ्गलाक्षाय नमः) : गुलाबी आँखों वाले (73)
- वार्धिमैनाक (ॐ वार्धिमैनाक पूजिताय नमः) : मैनाक पर्वत द्वारा पूजनीय (74)
- कबलीकृत मार्ताण्डमण्डलाय (ॐ कबळीकृत मार्ताण्डमण्डलाय नमः) : सूर्य को निगलने वाले (75)
- विजितेन्द्रिय (ॐ विजितेन्द्रियाय नमः) : इंद्रियों को शांत रखने वाले (76)
- रामसुग्रीव सन्धात्रे (ॐ रामसुग्रीव सन्धात्रे नमः) : राम और सुग्रीव के बीच मध्यस्थ (77)
- महारावण मर्धन (ॐ महारावण मर्धनाय नमः) : रावण का वध करने वाले (78)
- स्फटिकाभा (ॐ स्फटिकाभाय नमः) : एकदम शुद्ध (79)
- वागधीश (ॐ वागधीशाय नमः) : प्रवक्ताओं के भगवान (80)
- नवव्याकृतपण्डित (ॐ नवव्याकृतपण्डिताय नमः) : सभी विद्याओं में निपुण (81)
- चतुर्बाहवे (ॐ चतुर्बाहवे नमः) : चार भुजाओं वाले (82)
- दीनबन्धुरा (ॐ दीनबन्धुराय नमः): दुखियों के रक्षक (83)
- महात्मा (ॐ मायात्मने नमः) : भगवान (84)
- भक्तवत्सल (ॐ भक्तवत्सलाय नमः) : भक्तों की रक्षा करने वाले (85)
- संजीवन नगाहर्त्रे (ॐ संजीवननगायार्था नमः) : संजीवनी लाने वाले (86)
- सुचये (ॐ सुचये नमः): पवित्र (87)
- वाग्मिने (ॐ वाग्मिने नमः) : वक्ता (88)
- दृढव्रता (ॐ दृढव्रताय नमः) : कठोर तपस्या करने वाले (89)
- कालनेमि प्रमथन (ॐ कालनेमि प्रमथनाय नमः) : कालनेमि का प्राण हरने वाले (90)
- हरिमर्कट मर्कटा (ॐ हरिमर्कट मर्कटाय नमः) : वानरों के ईश्वर (91)
- दान्त (ॐ दान्ताय नमः) : शांत (92)
- शान्त (ॐ शान्ताय नमः) : रचना करने वाले (93)
- प्रसन्नात्मने (ॐ प्रसन्नात्मने नमः) : हंसमुख (94)
- शतकन्टमदापहते (ॐ शतकन्टमुदापहर्त्रे नमः) : शतकंट के अहंकार को ध्वस्त करने वाले (95)
- योगी (ॐ योगिने नमः) : महात्मा (96)
- मकथा लोलाय (ॐ रामकथा लोलाय नमः) : भगवान राम की कहानी सुनने के लिए व्याकुल (97)
- सीतान्वेषण पण्डित (ॐ सीतान्वेषण पण्डिताय नमः) : सीता की खोज करने वाले (98)
- वज्रद्रनुष्ट (ॐ वज्रद्रनुष्टाय नमः) (99)
- वज्रनखा (ॐ वज्रनखाय नमः) : वज्र की तरह मजबूत नाखून (100)
- रुद्रवीर्य समुद्भवा (ॐ रुद्र वीर्य समुद्भवाय नमः) : भगवान शिव का अवतार (101)
- इन्द्रजित्प्रहितामोघब्रह्मास्त्र विनिवारक (ॐ इन्द्रजित्प्रहितामोघब्रह्मास्त्र विनिवारकाय नमः) : इंद्रजीत के ब्रह्मास्त्र के प्रभाव को नष्ट करने वाले (102)
- पार्थ ध्वजाग्रसंवासिने (ॐ पार्थ ध्वजाग्रसंवासिने नमः) : अर्जुन के रथ पार विराजमान रहने वाले (103)
- शरपञ्जर भेदक (ॐ शरपञ्जर भेदकाय नमः) : तीरों के घोंसले को नष्ट करने वाले (104)
- दशबाहवे (ॐ दशबाहवे नमः) : दस्द भुजाओं वाले (105)
- लोकपूज्य (ॐ लोकपूज्याय नमः) : ब्रह्मांड के सभी जीवों द्वारा पूजनीय (106)
- जाम्बवत्प्रीतिवर्धन (ॐ जाम्बवत्प्रीतिवर्धनाय नमः) : जाम्बवत के प्रिय (107)
- सीताराम पादसेवा (ॐ सीतासमेत श्रीरामपाद सेवदुरन्धराय नमः) : भगवान राम और सीता की सेवा में लीन रहने वाले (108)